जय महाकाल
नमस्कार दोस्तों !!
मैं आप सब का इस ब्लॉग में
स्वागत करता हूँ|
आप ने जब
इस ब्लॉग का शीर्षक देखा होगा तो आप सब को लगा होगा की यह तो पुरानी पिक्चर का नाम
है| पर दोस्तों हमारा
आज का ब्लॉग भारत के उन वीर साधुओं के ऊपर है जिन्होने अपने प्राणों की बाजी लगते
हुए भारत के कई मंदिरों और हिन्दू धर्म की रक्षा की| अब आप
सब में से कई लोगों के दिमाग में भगवान परशुराम का भी नाम आया होगा| तो दोस्तों आपके दिमाग में लगभग सही नाम आया है| पर
यह ब्लॉग भगवान परशुराम के ऊपर नहीं बल्कि उनकी आराधना करने वाले साधुओं की
प्रजाति नागा साधुओं के ऊपर है| इन्ही नागा साधुओं ने
समय-समय पर कभी मोहम्मद गजनवी को तो कभी शाहजहाँ और औरंगजेब जैसे कई मुग़लों और
अन्य अत्याचारी मुस्लिम राजाओं से भारत के मंदिरों और हिंदु धर्म की रक्षा की है| पर हमारा देश इन वीरों के बलिदान को भुला चुका है और जो देश अपने ही
वीरों और योद्धाओं को भुला दे और किसी और देश की संस्कृति और लोगों के पीछे जाये उस
देश की वास्तविक संस्कृति धीरे धीरे धूमिल होने लगती है|
अतः जो लोग भी इस ब्लॉग को पढ़ रहें हैं उन सब से मेरा एक ही अनुरोध है की आप सब
लोग इस ब्लॉग को जादा से जादा शेयर करें| चलिये तो आज के
ब्लॉग को शुरू करते हैं|
दोस्तों
नागा साधुओं की उत्पत्ति को लेकर बहुत से किस्से-कहानियाँ और किताबें हैं| पर उनमें से जो सबसे सही है, हम उस पर चर्चा करते
हैं| पूर्व काल में 5वी इसा पूर्व में आदि शंकराचार्य का
उध्भव हुआ जिन्होने होने सनातन-धर्म की स्थापना की और हिन्दू धर्म के प्रचार और प्रसार के
लिए विभिन्न अखाड़े भी बनाए| उस समय भारत पर बहुत से विदेशी
आक्रमण हुए जिससे भारत के बहुत से मंदिरों और धर्म स्थलों की बहुत क्षति हुई| इन आक्रमणों से मंदिरों और धर्म स्थलों की रक्षा हेतु आदि शंकराचार्य ने
नागा साधुओं के विभिन्न अखाड़ों की स्थापना की जिनका धर्म था मंदिरों और धर्म
स्थलों की रक्षा हेतु युद्ध करना | इनके इन अखाड़ों के नाम इस
प्रकार हैं-
1. निरंजनी
अखाड़ा
2. जूना
अखाड़ा
3. महानिरवाणी अखाड़ा
![]() |
https://www.paramkumar.in/ |
इन अखाड़ों के वीरों का जिक्र हमें भारत के बहुत कम इतिहासकारों की पुस्तकों में मिलेगा पर अगर हम दूसरे देशों की बात करें तो वहाँ पे इनके बारे में भारत से भी अधिक और सटीक जानकारी मिलेगी| मैं यह नहीं कह रहा कि भारत के इतिहासकार गलत हैं, मैं बस एक बात बता रहा हूँ कि कुछ ऐसी घटनायें हैं, जो हैं तो भारत के वीरों के बारे में पर उन घटनाओं के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध होने के कारण हमारे देश में लोग नहीं जानते| आज के इस ब्लॉग में हम महानिरवाणी अखाड़ा के वीर नागा साधुओं के बारे में बात करेंगे| जिन्होंने काशी विश्वनाथ के मंदिर को बचाते हुये अपने प्राणो की आहुति दे दी और 17 वी सदी के भारत के सब से बड़े गैर-भारतीय, मुग़ल बादशाह आलमगीर औरंगजेब को तीन बार धूल चटा दी थी| तो आइये जाने किस तरह इस युद्ध का आरंभ हुआ|
हम लोग जिस समय की बात कर रहें उस समय पूरे भारत में
केवल तीन ही शक्तियाँ थी जो मुग़लों से लोहा ले सकती थी| एक राजपूत, दूसरे जाट और तीसरे मराठा| इस समय अधिकांश भारत पर औरंगजेब की हुकूमत थी| उसने
मुग़लों के राज को उस ऊंचाइयों पर पहुंचाया जहाँ पर कोई मुग़ल बादशाह न ले जा सका था
और अपने इस राज्य को और सुद्रढ़ करने के लिए और भारत में अपने नाम का डर पैदा करने
के लिए उसने भारत के हिन्दू मंदिरों और धर्म स्थलों को तोड़ना शुरू किया| औरंगजेब के भी पूर्व बहुत से मुग़ल बादशाहों ने भी ऐसा किया था| ऐसा कहा जाता है कि मुग़लों ने भारत में लगभग 10000 हिन्दू मंदिर तोड़े थे| औरंगजेब ने भी इसी राह पर चलते हुए मथुरा का प्रसिद्ध कृष्ण जन्म मंदिर सहित
कई मंदिरों को अपना निशाना बनाया था| सन 1664 से 1669 तक
औरंगजेब ने शिव मंदिरों को अपना निशाना बनाया, और इसकी
शुरुवात उसने काशी विश्वनाथ के मंदिर से करने की ठानी| काशी
विश्वनाथ को अपना निशाना बनाने की एक वजह यह हो सकती है की यह आगरा और दिल्ली
दोनों से ही बहुत अधिक दूरी पर नहीं है| औरंगजेब ने ऐसा
इसलिये किया क्योंकि काशी विश्वनाथ का मंदिर उसकी ही राज्य की सीमा के अंदर भी आता
था| पर उसे पता नहीं था की उसे अपने ही राज्य में स्थित
मंदिर को तोड़ने के लिए अपने 5 लाख सिपाही और 3 मंत्रियों की कुर्बानी के साथ अपनी
3 बार बेईज्जती करानी पड़ेगी| इस युद्ध का आरंभ कुछ इस प्रकार
हुया था| सन 1664 में औरंगजेब अपने मंत्री मिर्जा अली के साथ
काशी विश्वनाथ के मंदिर को तोड़ने के लिए निकला| महानिरवाणी अखाड़ा के नागा साधू वहीं पे निवास करते थे| इन्हे जब यह
सूचना मिली तो उन लोगों ने यह सौगंध ली की जब तक एक भी नागा साधू जीवित रहेगा तब
तक मुग़ल इस मंदिर में प्रवेश भी नहीं कर सकेंगे| 25 मार्च को
मुग़ल अपनी विशाल फौज के साथ काशी (बनारस) पहुंचे| जहाँ पे
उनके ही राज्य में कुछ डरावनी वेश भूषा वाले, बड़े-बड़े बालों
और दाढ़ी-मूंछ वाले डरावने लोग बदन पर राख लपटे हुए खड़े थे|
यह लोग नागा साधू थे जो हाथों में त्रिशूल, तलवार, भाले और दूसरे शस्त्र लिए खड़े थे| इन लोगों को देख
मुग़लों में डर बैठ गया| जी. येल. स्मिथ की किताब के अनुसार
कई मुग़ल सैनिक इनसे भयभीत हो युद्ध से भाग गए| इसके पश्चात
कुछ समय बाद औरंगजेब ने युद्ध का आदेश दिया| युद्ध आरंभ होते
ही मुग़लों पे कहर ही बरस गया| महानिरवाणी अखाडे के नागा
साधुओं ने ऐसा युद्ध किया कि मुग़ल सेना के होश और जोश दोनों ढीले पड गये| कुछ मुग़ल
सैनिकों ने बताया की यह लोग बिजली की गति से दौड़ते थे और एक बार में 20-20 सैनिकों
को मार देते थे और युद्ध के दौरान जिस जगह मुग़ल सैनिक खड़े थे उस जगह 5 से 6 बार
बिजली गिरी थी| जिस की वजह से औरंगजेब हाथी से गिर गया और
युद्ध से भाग गया और युद्ध में एक नागा साधू ने उसके सेनापति मिर्ज़ा अली को मार
दिया| इस प्रकार मुग़लों की उनके ही राज्य की सीमा में
शर्मनाक हार हुयी| पर इस हार से औरंगजेब ने सीख नहीं ली और
1666 में एक बार फिर अपनी मुग़ल सेना और मंत्री तुरंगखान के साथ काशी की ओर एक बार
फिर बढ़ा और फिर एक और भयानक युद्ध हुआ| इस युद्ध में भी
औरंगजेब की हार हुई और वो युद्ध भूमि से भाग गया| वो यहाँ भी
नहीं रुका| वो एक बार फिर 1668 में मंत्री अब्दुल अली के साथ
युद्ध में आया और फिर से पूर्व के युद्धों की तरह नागा साधुओं से युद्ध में हार
गया और नागा साधुओं ने उसकी सेना और मंत्री का अंत कर दिया|
इस हार के बाद उसने एक आखरी युद्ध की तैयारी की| 1669 में वो
जितने भी अत्याचारी मुस्लिम शासकों अपनी तरफ कर सकता था उसने किया और 3 लाख की फौज
के साथ 29 अप्रैल 1669 को नागा साधुओं के ऊपर टूट पड़ा| इस
युद्ध में मात्र 40000 नागा साधुओं ने मुग़लों की दुर्गति कर दी पर इस बार भी वो
जीत ना सके पर इस युद्ध में केवल औरंग्जेब और उसके 70 सिपाही बच सके थे| औरंगजेब ने जब मंदिर तोड़ने की सोची तो उसे भारत के कई हिन्दू राजाओं से
युद्ध के संदेश प्राप्त हुए और इस समय मुग़ल और युद्ध करने की स्थिति में नहीं थे| इसलिए उसने मंदिर ना तोड़के मंदिर के अंदर ही मस्जिद का निर्माण करवा दिया| औरंगजेब की मृत्यु के बाद उदयपुर के महारणा संग्राम सिंह द्वितीय ने जयपुर
के कछवाहों के साथ मिलकर सन 1711 में काशी विश्वनाथ की जमीन खरीदी और मंदिर का
पुनः निर्माण करवाके मंदिर के प्रांगण को मस्जिद से अलग करवा दिया|
दोस्तों तो यह थी गाथा भारत के वीर नागा साधुओं
की और मेरे आगे आने वाले ब्लॉग भी इन्ही वीरों के ऊपर केन्द्रित रहेंगे| आपको इन वीरों के बारे में भारत के इतिहासकारों की किताबों से थोडी कम
जानकारी मिलेगी और भारत के जो इतिहासकार इनकी जानकारी दे सकतें हैं वो उतने
प्रचलित नहीं हैं| औरंग्जेब और कई शासकों ने अपनी हार के भी
सबूत मिटा दिये थे| इसलिए इन घटनाओ के वास्तविक तथ्यों की
उतनी जानकारी नहीं मिलती| ऊपर दी गयी जानकारी आर॰ विलियम॰ पिंच की किताब “SOLDIER MONK AND MILITANT SADHUS” से ली गयी
है| इस ब्लॉग को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि लोग भारत के इन
वीर नागा साधुओं के बारे में जान सकें|
आप अपनी राय कमेंट में लिख सकतें हैं या मेरे ई-मेल paramkumar1540@gmail.com पर या फिर व्हाट्सप्प +91-7999846814 पर संपर्क कर सकते हैं|
||जय महाकाल||
||जय भारत||
24/05/2020
परम कुमार कृष्णा पब्लिक स्कूल रायपुर (छ.ग.)
ऊपर दिया गया चित्र इस लिंक से लिया गया है-
https://www.hinduhistory.info/wp-content/uploads/2012/11/naga_sadhus_14_jan_dip_TOI_Gautam_Singh.jpg
Wonderful exposition about Naga
ReplyDeleteTruth!!!
ReplyDeleteExciting to know such things
ReplyDeleteVery good 👍
ReplyDeleteExcellent work 👍
Mr param very Good information
ReplyDeleteनागा साधुओं के बारे में अब तक यही छवि थी कि वे अत्यंत क्रोधी होते हैं और कुंभ मेले में शाही स्नान में आते हैं। पहली बार उनकी सकारात्मकता के बारे में बोध हुआ। मैने काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन किया है। यह नागा साधुओं के ही कारण संभव हुआ। नागा साधुओं के बारे में कही कोई जानकारी जनता को नहीं मिलती है। नागा साधुओं के बारे में गूढ़ तथ्यों से अवगत करवाने के लिए परम को अनेकोनेनेक बधाई।
ReplyDeleteVery informative
ReplyDeleteVery amazing write uo
ReplyDeleteVery useful information
ReplyDeleteसाधु और शैतान में साधु यानी नागा साधुओं ने औरंगजेब जैसे महान पराक्रमी योद्धा को युद्ध में परास्त कर लोहे के चने चबवाए और अपने नाम का डंका बजाया यह घटना इतिहास में अनछुई ही रह गई थी जिसको तुमने पूरा किया और हम नादा साधुओं के सामने नतमस्तक हुए तुम्हारा जवाब नहीं ऐसे ही बढ़ते जाओ बढ़ते जाओ
ReplyDeleteजड़ों से जोड़ने के लिए परम जी
ReplyDeleteनमन साधुवाद
Saandaar sir
ReplyDeleteIts my privilege. Thanks a lot for adding me in your group.
ReplyDeleteParam you are exceptional beta. God bless you. Your this blog is also informative.
ReplyDeleteOld tradition history of India knowledge present time and helpful
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