जय महाकाल,
नमस्कार दोस्तों!!
आप सबका मेरे इस ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है| आज की हमारा चर्चा का विषय किसी युद्ध पर नहीं, न किसी ऐसे व्यक्ति पर रहेगा जिसे यह संसार ना जानता हो| आज हम जिस व्यक्ति के बारे में चर्चा करेंगे उसे यह पूरा विश्व जानता है| उस व्यक्ति को उसके युद्ध, उसके धार्मिक कार्यों और बौद्ध धर्म को इस जगत में एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए जाना जाता है।
आप सबका मेरे इस ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है| आज की हमारा चर्चा का विषय किसी युद्ध पर नहीं, न किसी ऐसे व्यक्ति पर रहेगा जिसे यह संसार ना जानता हो| आज हम जिस व्यक्ति के बारे में चर्चा करेंगे उसे यह पूरा विश्व जानता है| उस व्यक्ति को उसके युद्ध, उसके धार्मिक कार्यों और बौद्ध धर्म को इस जगत में एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए जाना जाता है।
तो दोस्तों आप समझ ही रह होंगे कि मैं बात कर रहा हूं महान हिंदू सम्राट चक्रवर्ती अशोक मौर्य की| आप में से अधिकांश लोग सोच रहे होंगे अरे हम तो अशोक के बारे में सब जानते हैं तो ऐसा क्या है जो हम नहीं जानते हैं|
चलिए तो आज मैं आपको ले चलता हूं अशोक मौर्य महान के जीवनकाल
में और जानते हैं ऐसा क्या हुआ जो कि एक महान राजा बिन्दुसार के पुत्र और भूतपूर्व महाराजा चन्द्रगुप्त
मौर्य के पौत्र को वन में अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा, क्या हुआ जो कि इस व्यक्ति को अपने ही 98 भाइयों को मारना पड़ा| कलिंग के युद्ध में ऐसा क्या हुआ था जिससे अशोक को युद्ध से नफरत हो गई| इन सभी प्रश्नों के उत्तर हम आज इस ब्लॉग में पाएंगे|
अशोक का जन्म सन 302 ईसा पूर्व में हुआ था| इनके पिता का नाम था सम्राट बिंदुसार मौर्य और माता का नाम धम्मा(शुभाद्रंगी) था| महान अशोक के बचपन को लेके इतिहास में बहुत सी घटनाएं प्रचलित
है| उनमें से कुछ पर आज हम बातें करेंगे जिससे हमें अपने पहले सवाल का उत्तर मिलेगा|
1-
अशोक का जीवन वन
में क्यों व्यतीत हुआ
इस प्रशन के बहुत से उत्तर हैं| यह उत्तर सुनके आप सब को लग
सकता है कि मैं कोई कहानी सुना रहा हूँ पर यह ही असली बात है| अशोक के पूर्व उनके
पिता का भी जीवन वन मे व्यतीत हुआ था | इसका कारण था उनका शिक्षा पाना और अपने
प्रजा के बीच उनसे घुल मिल के उनकी समस्या जानना| आप सब सोच रहे होंगे की यह सब कम
तो सब राजा करते हैं| इसमें ऐसा क्या था जो अशोक ने वन में रह के किया| अशोक और
उनसे पूर्व उनके पिता और दादा ने भी एसी शिक्षा ली थी जो उन्हें और कोई नहीं बल्कि
स्वयम आचार्य चाणक्य देते थे| इसके पीछे कारण यह था की समय के साथ परिस्थिति बदलती है और उन समस्या का समाधान केवल वह ही व्यक्ति कर सकता हे जो उनके बीच रह के आया
हो और उन परिस्थिति से अवगत हो जिनसे समस्या उत्पन हुई| इसलिए होने वाले सम्राट
अपना सम्पूर्ण बालकल्या वन में या फिर आम जनता के बीच व्यतीत करना पड़ता था| ताकि
समय आने पर वो सम्राट अपनी प्रजा के लिए एक सही और सटीक निर्णय ले सके| परन्तु आज
के युग में टी.वी. वाले और अन्य अंकीय मनोरंजन (डिजिटल मनोरंजन) वाले इस घटना को
बहुत मिर्च मसाला लगाके यह बताते हैं कि अशोक की माँ वन में रहती थी और उनके पिता
यानि बिन्दुसार जब एक बार शिकार पे गये तो उन्हें उनसे प्रेम हो गया और उनसे
उन्हें पुत्र की प्राप्ति भी हुयी पर क्योंकि वो वन की निवासी थी इसलिए उन्होंने
उन्हें स्वीकार नहीं किया| यह सब दिखाना गलत है| मैं यह नहीं कहता की टी. वी. पे
आने वाला सीरियल ही गलत है पर उसके कुछ तथ्य और घटनाएँ बे बुनियाद हो सकती हैं,
जिसका सही विश्लेषण आवश्यक है| इसके पीछे की असली घटना यह थी कि अशोक की माँ धम्मा
बिन्दुसार की प्रथम पत्नी सुसीमा की सखी थीं जो की उन्ही के साथ महल में रहती थीं और सम्राट बिन्दुसार को उनसे प्रेम हो गया| आचार्य चाणक्य को भी यह विवाह स्वीकार
था क्योंकि वो चाहते थे कि सम्राट बिन्दुसार के बाद अगला शासक भी पूर्ण रूप से
हिन्दू हो| हमे इतिहास में इस बात की कोई जानकारी नहीं मिलती की सम्राट बिन्दुसार
की प्रथम पत्नी दुसरे धर्म की थीं परन्तु आचार्य चाणक्य चाहते थे की मौर्य वंश के
सिंघासन का अगला उतराधिकार बिन्दुसार और सुभाद्रंगी (धम्मा) की संतान हो| इसी
घटना को कई इतिहासकारों ने अपने तरीके से अलग-अलग रूप से लिखा है परन्तु
अशोक्वार्दंम जो की अशोक के जीवन के ऊपर लिखी हुई पुस्तक है उसमे हमें इस घटना की
जानकरी मिलती हे| इस पुस्तक को स्वयम अशोक ने लिखा है|
2-
अशोक ने क्यों अपने 98 भाईओं को मारा ?
अशोक ने अपने इतने भाइयों को क्यों मारा| हर इतिहासकार इसकी
एक अलग घटना बताता है| उन घटनाओं में सच क्या है यह बता पाना थोडा कठिन है| पान्तु
आप फ़िक्र न करें मैंने आपके लिए इस समस्या का समाधान निकल लिया है और इस विषय पर अनुसंधान किया है| उसका नतीजा अब आप को मैं बताऊंगा| यह घटना और
यह तथ्य की अशोक ने अपने 98 भाईओं को मार दिया यह पूरी तरह से गलत है| अशोक ने
आचार्य चाणक्य के कहने पर बस अपने एक भाई से युद्ध किया था और उसे भी अशोक ने नहीं
मारा वो अपने आप एक खाई में गिर कर मृत्यु को प्राप्त हुआ था| इस युद्ध के बारे
में में आगे चर्चा करूँगा| अभी हमारा यह जान लेना आवश्यक है कि कई एतिहासिक ग्रथों
में ऐसा क्यों वर्णित है कि अशोक ने अपने 98 भाईओं को मृत्यु दी| इसका कारण है कि वो किताबें यूनानी इतिहासकारों या तो यूनानी इतिहासकारों के भारतीय सलहाकारों ने
लिखी है| ऐसा लिखने का कारण यह है की यूनान और मौर्य राजवंशों के बीच हमेशा से ही
तनाव पूर्ण सम्बन्ध रहे हैं| इसलिए मौर्य राजवंशो को नीचा दिखाने के लिए
हिरोदोतुस, ठुच्य्दिदेस, क्सेनोफों जैसे प्राचीन इतिहासकारों ने अपनी-अपनी पुस्तकों मेँ ऐसा ही वर्णित किया है और इसी घटना को अधार बना के कुछ भारतीय इतिहासकारों ने,
जो अशोक को एक कुशल शासक नहीं मानते, उन्होंने यह वर्णन किया है कि अशोक ने अपने
98 भाईओं को मारा है| परन्तु कुछ यूनानी इतिहासकार जैसे कर्तिय्स और
इ. एन. डब्लू. बेज लिखते हैं कि उस समय के ग्रीस शासकों ने अपनी महानता सिद्ध करने के
लिए कई देशों के कई सम्राटों के बारे में ऐसी बहुत सी गलत घटनाएँ वर्णित की हैं| उन सम्राटों में अशोक मौर्या का भी नाम है| तो हमे यह तो पता चल गया की अशोक ने अपने 98 भाईओं को नहीं
मारा बल्कि उसके 98 भाई थे ही नहीं| मेरा यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आप जरुर इन्टरनेट पे
सर्च करेंगे कि क्या अशोक के वाकई इतने भाई थे और वहाँ आप को पता चलेगा की उसके 98
भाई थे जैसा की कई बौद्ध ग्रंथों में लिखा है| तो में आप को यह बता दूँ अशोक के
बारे में आपको अगर कहीं भी कुछ ऐसा लिखा मिलता है जिसकी वास्तिविकता सिद्ध नहीं हो
सकती तो आप यह जान लें की वो सारी चीजे यूनानी इतिहासकारों के प्रभाव में आके लिखी
गयी थी | आईये अब जानते हैं कि अशोक का शुशिम से युद्ध का क्या कारण था| शुशिम सम्राट बिन्दुसार की प्रथम
पत्नी शुसिमा का पुत्र था जिसे आचार्य चाणक्य मगध का सिंघासन नहीं देना चाहते थे|
इसलिए उसकी शिक्षा एक आम राजकुमार के जैसी हुई, वैसी नहीं जैसी एक होने वाले राजा
की होनी चाहिए थी| परन्तु शुसिमा चाहती थी की उसी का पुत्र राजसिंघसन पर विराजे
जिसके लिए उन्होंने अपने पति की मृत्यु के पश्चात् अपने पुत्र शुशिम को अपने भाई के
ऊपर आक्रमण के लिए कहा और राज्य के लालच में शुशिम ने अशोक के ऊपर आक्रमण कर दिया|
इस युद्ध में शुशिम की खाई में गिर के मृत्यु हो गयी| तो
मित्रों यह था हमारे दूसरे प्रशन का उत्तर की क्या अशोक ने अपने 98 भाईओं की हत्या
की थी तो इसका उत्तर है नहीं|
3-
कलिंग के युद्ध में एसा क्या हुआ की अशोक ने बौद्ध धर्म
ग्रहण कर लिया ?
कलिंग के युद्ध का
अभियान अशोक के दक्षिण विजय के अभियान का पहला चरण था| इस अभियान के 3 और चरण थे
जो चोल, चेरा और पंड्या राजवंश के विरुद्ध थे और इन तीनो चरण में अशोक की हार हुई|
उसकी जीत केवल कलिंग में हो सकी वो भी बहुत बड़ा बलिदान देके| अशोक की आत्म कथा
अशोक्वार्दानाम के अनुसार 268 ई.पू. से 265ई. पू (तीन साल) तक चला युद्ध अशोक के जीवन
का सबसे भयंकर युद्ध था, जिसमें अशोक को विजय तो मिली परन्तु दोनों पक्षों के 10
लाख से अधिक सैनिक मृत्यु को प्राप्त हुए थे जिसमें अशोक के भी विश्वासपात्र और
निकट सम्बन्धी भी थे| अशोक ने इससे भी पूर्व युद्ध किये और जीते थे परन्तु ऐसा
रक्तसंहार उसने कभी नहीं देखा था| इसलिए उसे युद्ध से नफरत हो गयी| वो इस युद्ध जीतने
के बाद भी बेचैन और परेशान था| ऐसे समय में उसके राज्य में कुछ बौद्ध अनुयीई आये थे| अशोक ने उनसे अपनी समस्या का समाधान माँगा| उन्होंने उन्हें भगवान बौद्ध
की पूरी कथा सुनायी कि कैसे राजकुमार सिद्धार्थ गौतम भगवान गौतम बौद्ध बने| उनके जीवन
की कठनाई और परिश्रम की कहांनी सुन के अशोक का उन्हें और जानने का मन किया और इसके
लिए सम्राट अशोक ने पूर्ण रूप से राज काज का त्याग कर दिया और भगवान बौद्ध के
मार्ग पे चलने लगा, यही नहीं और लोगों को इस मार्ग पर चलने हेतु उन्होंने अपने
पूत्र कुनाल और महिंदा को और पुत्री संघ्मित्ता और चारुमती को विश्व भ्रमण पर इस
उद्देश्य से भेज दिया कि वो और लोगों को इस मार्ग पे चलने के लिए प्रेरित कर सकें|
तथा अपने सबसे छोटे पुत्र को तिवाला को राजा बना दिया यह तिवाला बाद में महाराज दशरथ
मौर्या के नाम से जाना गया|
दोस्तों अशोक ने बौद्ध
धर्म को तो इस विश्व में प्रचारित कर दिया परन्तु अपने पिता होने का धर्म न निभा
सका| उसके बेटे तिवाला को कभी वो मार्गदर्शन नहीं मिल सका जो एक बच्चे को राजा के
रूप में अपने गुरु या पिता से मिलना चाहिए था| क्योंकि इस समय तक आचार्य चाणक्य की
भी मृत्यु हो गयी थी| अत: वो भी तिवाला को मार्ग दर्शन ना दे सके और इसलिए अशोक के
बाद मौर्य वंश उतना समृद्ध नहीं रह पाया जितना कि वो पहले हुआ करता था| हिन्दू धर्म और
जितने भी धर्म हिन्दू धर्म से उत्पन्न हैं वो सन्यासी का जीवन जीने की चाह रखने
वाले व्यक्ति से यह सवाल अवशय करते हैं कि क्या आप को विश्वास है की आप की बाद आप
का पुत्र या आपके परिवार का कोई भी सदस्य आपकी और आपके परिवार की पैत्रिक सम्पति को संभालने कि क्षमता रखता है? अशोक का यही विश्वास गलत था अपने छोटे पुत्र पर क्योंकि
अशोक ने कभी भी उसे वो मार्गदर्शन नहीं दिया था जो एक होने वाले राजा को या किसी
राजकुमार को मिलने चाहिए था|
तो दोस्तों यह थी अशोक
के जीवन से जुड़ी वो अनसुनी बातें जो अगर आप को पता न थीं या फिर पुरी तरह से नहीं
पता थीं| यह थी उस व्यक्ति से जुड़ी वो बातें जिसे हम जानते हुए भी अंजान थे, जिसके
ऊपर अपने भाईयों की मृत्यु का आरोप था यह थी कहानी बौद्ध सम्राट अशोक की|
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अधिक शेयर करें ताकि और लोगों को भी अशोक के जीवन के अनसुने पहलुओं की जानकारी मिल
सके|
||जय महाकाल||
||जय भारत||
21/06/2020
परम कुमार
कृष्णा पब्लिक स्कूल
रायपुर(छ.ग.)
ऊपर दी गयी जानकारी अशोक्वार्दानाम से लीगयी है
ऊपर दी गयी फोटो इस लिंक से ली गयी है-https://cdn.shopify.com/s/files/1/1284/2827/products/samrat_Poster_1024x1024.jpg?v=1498360702