जय महाकाल
नमस्कार दोस्तों आपका एक
बार फिर से मेरे इस ब्लॉग मै हार्दिक स्वागत है| आज हमारी चर्चा का विषय है ठगों पर| 'ठग', यह नाम आज कल बहुत चल रहा है क्योंकि हाल ही मै एक फिल्म “ ठग्स ऑफ़
हिन्दोस्तान ” आयी है| परन्तु इस फिल्म में ठग्स को एक अलग तरीके से दिखाया गया है|
इस फिल्म मे ठग्स को एक समुद्री लुटेरा बताया गया है जो की गलत है| आज के इस ब्लॉग
मै हम यह जानेगे की असली मैं कौन थे ये ठग्स? और कैसे इनकी उत्पति हुई और कैसे इनकी
समाप्ति हुई| आईये शुरू करते हैं|
ठग्स की उत्पति के बारे मे बहुत से किस्से हैं,पर उनमे जो सबसे अधिक प्रचलित है वो यह है की, जब माँ दुर्गा ने रक्तबीज के अन्त के लिए काली देवी का रूप धारण किया था| तब वो जब रक्तबीज को मार रहीं थी उस समय उसकी बूंदों से उसके जैसे और दानव खड़े होते जा रहे थे| तो माँ काली ने अपने अंदर से दो व्यक्तियों को निकाला जो की अपने हाथ मै लाल रंग का रुमाल लेके खड़े थे और रक्तबीज से उत्पन हुए अन्य दानवों को मृत्यु के गोद में सुला देते थे| इस युद्ध की समाप्ति के बाद उन दोनों ने पूछा की हे माँ हमारे लिए क्या आदेश है? माँ ने कहा तुम पृथ्वी पर ही रहो और यह कहके माँ अंतर्ध्यान हो गयीं| उन दोनों मनुष्यों ने लोगों को मारना ही अपना धरम बना लिया था और अपने जैसे कई और व्यक्ति तैयार कर लिए| यह तो हुई ठगों की उत्प्पति के बारे मैं बात| अब बात करतें हैं उनके प्रभाव के समय की और इनमे कौन-कौन लोग रहते थे|
ठगों का प्रभाव लगभग 450
सालों तक रहा था| सन 1320 से सन 1840 तक| ठगों के इलाकों में पूर्वी राजस्थान,
दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यभारत अता था| यह तो साधारण सी बात है की इनमे उसी
इलाके के लोग रहते थे| सन 1320 से 1793
तक इनका प्रभाव ज्यादा असरदार नहीं था| पर जब 1793 में इनका नया सरदार आया जिसका नाम
था बहरम| उसके बाद से इनका प्रभाव बढ़ गया| ऊपर दिए गए राज्यों के नाम मैं
से रात को जो भी अपने घर से जंगल के रास्ते से कहीं जाने के लिए निकलता था वो फिर
कभी वापस नहीं आता था, चाहे वो सैनिक, व्यापारी,राजा की रानी,स्वयं राजा हो या फिर
कोई मामूली इन्सान| ठगों से कोई नहीं बचता था| यहाँ तक कि इन लोगों ने अंग्रेज
सरकार को भी नहीं छोड़ा| इन्होने जंगल की रक्षा के लिए नियुक्त अधिकारियों को अपना निशाना बनया| जब वो रात को जंगल में गश्त लगाने जाते तब ठग
उन्हें निशाना बनाते और उन्हें उस जंगल मै सदा के लिए सुला देते और उनके घुटने,
हाथ और रीढ़ की हड्डी को तोड़ के एक छोटी सी जगह पर दफना देते थे| कहा जाता है
इन्होने सन 1800 से 1806 के बिच अंग्रजों की नौ बटालियन को गायब कर दिया था|
1800 से 1840 के बीच 40000 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था| मतलब 40 सालों के हर
एक साल 1000 लोग ठगों द्वारा मृत्यु को प्राप्त होते थे,और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
की बुक के अनुसार इन के मुखिया बहरम ने अकेले ही 931 लोगों को मारा था जिसके कारण
ठग बहरम का नाम उस बुक में दर्ज है| तो आईये अब इनके अन्त के बारे मैं जानते हैं|
ठगों से परेशान होकर
अंग्रेज सरकार ने सन 1830 में लार्ड विलियम बेन्त्रिक को भारत का गवर्नर जनरल
नियुक्त किया था और विलियम हेनरी सिल्लोमन को ठगों के अत्याचार रोकने के
लिए भारत मैं नियुक्त किया| यह आदेश भी निकाला की अब से जंगलों मैं कोई भी व्यक्ति
जायेगा तो उसके साथ 500 सैनिक जायेंगे और उसकी रक्षा करेंगे| इसके अलावा ठगों को
जिन गाँव से मदद मिलती थी उन्होंने वहां अपने जासूस लगा दिए| इस तरह से उनकी हर एक
खबर विलियम हेनरी तक पहुँच जाती और वो ठगों से पहले उस जगह पर पँहुच जाते थे जहाँ
ठग अपनी साजिश अंजाम देने वाले होते और इस तरह से धीरे-धीरे ठगों का प्रभाव कम होने
लगा| अन्त में ग्वालियर मैं ठगों से हुई एक मुठभेड़ में उन्होंने ठगों
के सरदार बहरम को पकर लिया और सन 1840 में उसे फांसी हो गयी और ठगों का काल
खत्म हुआ|
तो दोस्तों यह थी ठगों की
असली कहानी|इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए ताकि और लोग भी ठगों का असली
इतिहास जान सकें| अगर आप को मेरा यह ब्लॉग अच्छा लगा हो तो इस पर कमेंट और शेयर
करें|
धन्यवाद्
|| जय भारत ||
|| जय महाकाल ||
20/11/2018
परम
कुमार
कक्षा-9
कृष्णा
पब्लिक स्कूल
रायपुर
ऊपर दी गयी फोटो इस लिंक से ली गयी है https://comicvine.gamespot.com/images/1300-3795443