Sunday 29 April 2018

History talks by Param

महाराणा अमर सिंहजी

आज दोस्तों मै आपको बताने जा रहा हूँ, उस महान राजपुत राजा के बारे में जिसे इतिहास भुला चूका है और कई लोगों ने  उसके खिलाफ कई झूठे आरोप लगाकर गलत चारित्रिक चित्रण किया कि उन्होंने मुगलों से युद्ध से बचने के लिए संधि कर ली थी कारण ये है की लोग उसकी असली कहानी नहीं जानते हैं 

जी हाँ दोस्तों मै बात कर रहा हूँ मेवाड़ कुल-शिरोमणी और मेवाड़ के उनचासवे राजा महाराणा अमर सिंहजीके बारे में जिनकी महानता अब इतिहास के पन्नो में कही खो सी गयी हैअतः इस नाम की कहानी मै आज आपको बताऊंगा, तो लीजिये शुरू करते हैं


महाराणा अमर सिंहजी का जन्म सन १५५६ ई. में चित्तौरगढ़ में हुआ था महाराणा अमर सिंह, के पिताजी वीर यौद्धा महाराणा प्रताप थे एवं उनकी माता का नाम अज्जब्दे पवार था इनका शुरुवाती जीवन था बाल्यकाल चित्तौरगढ़ में बिता और बाकी का अधिकतर उदयपुर में महाराणा अमर सिंह भी अपने पिता की तरह ही वीर और साहसी थे इनके वीरता का एक किस्सा बहुत प्रचलित है और वो कुछ इस प्रकार है कि जब १५६४ में मुगलों ने चित्तौड़गढ़ को घेर लिया था तो उस समय इनके पिताजी बड़ी चिंता में थे तब इन्होने उन से कहा था पिताश्री आप सब इतने परेशान क्यों हैं, क्या आप सब उस धूर्त मुग़ल से परेशान हैं तो आप चिंता मत करिए आप मुझे एक तलवार दीजिये मै अगले ही क्षण उस धूर्त मुग़ल का सर आपके क़दमों में रख दूंगाइस बात से पूरी मेवाड़ी सेना में नए जोश आ गयातब इनके मामा रावत सिंह चुडावत ने उनसे पूछा की इतना साहस आपमे कहाँ से आया तो महाराणा अमर सिहजी ने कहा की ये साहस मुझे मेरे पिता और पुर्वजो की कथाओं से प्राप्त होता है ऐसे महावीर योद्धा को कई लोगों ने द्रोही करार देते हुए लांछन लगाया है की इन्होने पिता और पुर्वजों की गरिमा को मिट्टी में मिलाते हुए मुगलों से संधि कर ली थी परन्तु आरोप लगाने वाले शायद भूल गए की इसी महाराणा अमर सिहजी ने अकबर के राज्यकाल में आने वाले ८० दुर्ग (किले) जीते थे यानि इन्होने ८० बार मुगलों को परस्त किया था इसके अलावा मुग़ल राजा जहांगीर के समय सन १६०३, १६०५, १६०८ और १६०९ में मुगलों को हार का सामना करना पड़ा इसके बाद जब जहाँगीर खुद सेना लेकर सन १६१२ और १६१३ में युद्ध करने आया तो वो भी हार कर ही लौटा तो अब आपको क्या लगता है ८६ युद्धों में मुगलों को परास्त करने वाले राजा को दबाव में आकर मुगलों  से  संधि करने की जरुरत क्यों पड़ेगीतो जवाब ये है की मुगलों को ही संधि की जरुरत थी अपना उत्तरी एवं दिल्ली के पास का साम्राज्य बचाने के लिए और मुग़ल कहीं न कहीं ये स्वीकार कर चुके थे की रास्थान और खासकर मेवाड़ उनके नसीब में नहीं है इसलिए मेवाड़ी राजपूताने के साथ होने वाले युद्धों में उनकी ही क्षति ज्यादा होती है और साम्राज्य का विस्तार नहीं हो पता है यही कारण है की मुग़ल राजा जहाँगीर मेवाड़ को १०० पोशाकें, ३०० घोड़े ५०० से १००० स्वर्ण मुद्राएँ मेवाड़ को कर के रूप में हर महीने देने को राजी हुआ था

मुगल राजवंश को दबाव में लाकर इस कर को लेने का श्रेय महाराणा अमर सिंह को जाता है जिसको कुछ इतिहासकारों ने गलत रूप से वर्णित करते हुए ये बताया है की मुगलों के दवाव में आकर महाराणा अमर सिंहजी ने मुगलों से संधि कर ली थी

वास्तव में महाराणा अमर सिंह अन्य मेवाड़ी राजाओं की तरह ही एक महान राजपुत राजा और वीर योद्धा थे जो हमारे दिलो में सदैव जीवित रहेंगे

                                                            सादर नमन् 


   २९/०४/२०१८                                                                                                
                                                  परम कुमार
कक्षा ९
कृष्णा पब्लिक स्कूल
  रायपुर 
*  महाराणा अमर सिंहजी का चित्र गूगल से लिया गया है
http://www.eternalmewarblog.com/rulers-of-mewar/maharana-amar-singh-ii/



Best Selling on Amazon

Member of HISTORY TALKS BY PARAM

Total Pageviews

BEST SELLING TAB ON AMAZON BUY NOW!

Popular Posts

About Me

My photo
Raipur, Chhattisgarh, India

BEST SELLING MI LAPTOP ON AMAZON. BUY NOW!

View all Post

Contact Form

Name

Email *

Message *

Top Commentators

Recent Comment