जय महाकाल
नमस्कार दोस्तों
आप सब का मेरे ब्लॉग में
स्वागत है| आज हमारे चर्चा का विषय भारत के उस वीर
योद्धा के ऊपर है जिसने अपने साथ साथ भारत और मराठा साम्राज्य का नाम विश्व में
अमर कर दिया और जिसे महान इतिहासकार जेम्स मिल ने अपनी किताब में भारत का सर्वोच्च
अधिपति कहा है| जिसने पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद लोगों को
यह बता दिया था कि मराठा साम्राज्य में अभी भी इतनी शक्ति है की वो किसी से भी
लोहा ले सकते हैं| इस वीर ने एक बार फिर से कटक से लेकर
अत्तोक तक मराठा साम्राज्य का झंडा लहरा दिया था| दोस्तों
में बात कर रहा हूँ सिंधिया राजवंश के गौरव महादजी सिंधिया की| आज के इस ब्लॉग में आप को महादजी के बारे में तो बताऊंगा ही और यह भी
बताऊंगा कि सिंधिया राजवंश के ऊपर झाँसी की रानी के साथ जो धोखा करने का जो आरोप
है वो बे-बुनियाद है|
आइये तो जाने महादजी सिंधिया के बारे में|
महादजी सिंधिया का जन्म सन
1730 में ग्वालियर में हुआ था| इनके पिता का नाम राणोजी
सिंधिया था और माता का चीमा बाई| इसके अलावा महादजी सिंधिया
के चार भाई भी थे| दुत्ताजी, जनकोजी, जयापाजी,और तुकोजी| महादजी
सिंधिया के बारे में बोला जाता है कि इन्होने अपना सबसे पहला युद्ध तब लड़ा था जब
वो दस साल के थे| महादजी सिंधिया ने पनीपत की तीसरी लड़ाई में
भी अपना उपयोगी योगदान दिया था| अगर आप सब पानीपत के इस
युद्ध के बारे में और जानकारी चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर जा सकते हैं| पानीपत के युद्ध में जिन्दा बचे लोगों की सूचि में जो महत्वपूर्ण दो नाम
आते हैं वे हैं महादजी सिंधिया और नाना फड़नवीस| इन दोनों के
ही जीवित रहने के दो कारण है| पहले हम जानते हैं की नाना फड़नवीस
जीवित कैसे बचे|
नाना फड़नवीस अफगानों की
विशाल सेना को देखकर भयभीत हो गया था और युद्ध शुरू होने के पहले ही भाग गया था|
पर ऐसा नहीं है कि यह व्यक्ति वीर नहीं था हम इसके वीरता के बारे आगे बात करेंगे| तो अब हम बात करते है की महादजी इस युद्ध में कैसे बचे| महादजी इस युद्ध से भागे नहीं थे बल्कि वीरता के साथ युद्ध किया और अहमद
शाह के मंत्री शाह अब्दुला को मार दिया था| जेम्स मिल की
किताब के अनुसार महादजी इस युद्ध से बहुत ही लहू लुहान अवस्था में थोड़ी दूर जाकर
बेहोश हो गए थे| तब साहिर खान नामक एक व्यक्ति ने उनका उचित
उपचार करवाया था| यहाँ महादजी तो ठीक हो गए पर पुणे में उनसे
उनकी पूरी जायदाद छीन ली गयी| यह घटना कुछ इस प्रकार हुई| सन 1764 ई. में ही जब मराठों को यह सूचना मिली की मरने वालों में महादजी
भी जिन्दा हैं और वो वापस नहीं आये तो सब को लगा कि वो युद्ध के पहले ही भाग गए थे| इस गलत फहमीं में आकर तत्कालीन पेशवा बालाजी बाजीराव ने उनसे उनका ओहदा
छीन लिया और सब जगह यह घोषणा करवा दी कि महादजी एक दगाबाज है और वो इस सिंधिया वंश
के नहीं हैं जिसके 5 वीरों ने भारत की रक्षा के लिए अपने प्राण दे दिए थे| यह खबर महादजी तक भी पहुच चुकी थी और उन्होंने कसम खायी की जब तक वो
पेशवा दरबार जाने के लिए सशक्त नहीं हो जाते तब तक वो न तो ग्वालियर जायेंगे नहीं
पुणे| अब यहाँ से शुरू होता है महादजी के जीवन का दूसरा
अध्याय|
दोस्तों तो यह थी दास्ताँ
भारत के महान योद्धा महादजी सिंधिया की| अब हम सिंधिया घराने पर लगाये
गए आरोप पर चर्चा कर लेते हैं| सिंधिया राजवंश पर आरोप है की
इन्होने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया था और झाँसी की रानी को धोखा
दिया था| परन्तु यह आरोप बेबुनियाद है|
अंग्रेज इतिहासकार जेम्स मिल और जेम्स टॉड ने यह बताया है कि तत्कालीन सिंधिया
राजा जयजिराव सिंधिया ने झाँसी की रानी की मदद की थी| इन
दोनों के बीच एक करारनामा हुआ था जिसके मुताबिक ग्वालियर झाँसी की रानी को
अंग्रेजों से लड़ने के लिए सैनिकों के अलावा हर चीज़ देकर सहायता करेगा और एसा हुआ
भी| जयजिराव सिंधिया ने झांसी की रानी के लिए युद्ध के खेमों
का भी निर्माण करवाया था और युद्ध के आखिर तक रसद और पानी झांसी की सेना को
भिजवाते रहे थे| जिसे यह साबित होता है की सिंधिया राजघराने पर
लगा आरोप गलत है|
तो दोस्तों यह था एक अनसुना
और अनकहा इतिहास भारत के एक वीर योद्धा का और उसके राजवंश का|
आप इस ब्लॉग को जादा से जादा शेयरकरें ताकि लोग भारत के इस वीर योद्धा और उसके
राजवंश पर लगे बेबुनियाद आरोपों को जान सकें|
इसके अलावा अगर आप हमें कोई
सुझाव देना चाहतें तो हमें कमेंट करें या आप ईमेल करें- paramkumar1540@gmail.com पर
या फिर आप हमें हमारे व्हात्सप्प नंबर पे अपना सुझाव भेजें 7999846814
09\05\2020
परम
कुमार
कृष्णा पब्लिक स्कूल
रायपुर(छ.ग.)
ऊपर दी गयीं तस्वीरें इस लिंक से ली गयीं हैं-
1- https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Fwww.xwhos.com%2Fperson%2Fjayajirao_scindia-whois.html&psig=AOvVaw23ZWct7SpOfIoLoTxcGxte&ust=1589102397812000&source=images&cd=vfe&ved=0CAIQjRxqFwoTCMjwpvO5pukCFQAAAAAdAAAAABAH
2-http://images.mid-day.com/images/2016/feb/A-portrait-of-Mahadji-Scind.jpg

WONDERFULL DISCRIPTION OF HISTORICAL EVENTS WHICH ARE NOT USALLY KNOWN TO THE PEPOLE. KEEP ON WRITEING.
ReplyDeleteDR.H.KUMAR
👌👌👌👌👌 Fabulous
Deleteमहादजी सिंधिया के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकरी परम ने इस ब्लॉग के माध्यम से दी है। इसके लिए गहन शोध किया गया होगा, जिसके लिए परम को बधाई।
ReplyDeleteNice very nice param
ReplyDeleteNice very nice param
ReplyDeleteमहादजी सिंधियाजी के बारे में बहुत सुन्दर वर्णन के लिए परमजी को बधाई।
ReplyDeleteसिंधिया वंश के वीर पुरूष महादेव सिंधिया को इतिहास ने पूर्णरूप से विस्मृत कर दिया है जो इतिहास की बड़ी छवि है। इसकी पूर्ति में तुम्हारा योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए इस नाम में तुम्हारे नाम का विशेषण उचित रहेगा-परम वीर महादजी सिंधिया।
ReplyDeleteजय महाकाल