Tuesday 31 March 2020


जय महाकाल,
नमस्कार दोस्तों
आज फिर आप सबका मेरे ब्लाग में स्वागत है।
आज हमारे चर्चा का विषय उस वीर योद्धा पर है जिसने सर झुकाने से अच्छा सर कटवाना समझा | जिसे केवल छल से ही मारा जा सका| जिसने मुगल बादशाह शाहजहां को बता दिया कि आज अगर उनका अस्तित्व है तो वह केवल राजपूतों के बचाव की वजह से है। दोस्तों मैं बात कर रहा हूं मारवाड़ शिरोमणि और मेवाड़ शिरोमणि महाराणा प्रताप के प्रपौत्र यानी नाती अमर सिंह राठौर की| आइए हम इनके जीवन के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानें|



अमर सिंह राठौर का जन्म
वीर अमर सिंह राठौर का जन्म 11 दिसंबर 1613 को मारवाड़ नरेश गज सिंह और पत्नी इंद्रावती के यहां हुआ था। पर दुर्भाग्यवश अमर सिंह राठौर के जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी माता इंद्रावती का स्वर्गवास हो गया। इंद्रावती, मेवाड़ नरेश महाराणा अमर सिंह की बहन थी और महाराणा प्रताप सिंह की पुत्री उन्होंने अपने पति और भाई से वचन लिया था कि वह उनके पुत्र का नाम अमर सिंह ही रखेंगे क्योंकि उनके भाई अमर सिंह ने ही समस्त खंडित राजपूताने को एक बार फिर से एक करके बेजोड़ और मजबूत बनाया था। इस तरह से महाराजा गज सिंह और इंद्रावती के पुत्र का नाम अमर सिंह रखा गया|

राजकीय जीवन

पत्नी इन्द्रावती की मृत्यु ने राजा गज सिंह को तोड़ दिया था। उनका ध्यान राज्य कार्यों में नहीं था
| अपने पिता की यह हालत अमर सिंह से देखी नहीं गई और उन्होने अपने पिता को दूसरे विवाह का सुझाव दिया। इसके बाद महाराजा गज सिंह ने सन् 1620(3) को अक्षय तृतीया के दिन अपना विवाह आमेर की रानी जया बाई से रचाया| इसके बाद अमर सिंह को उनकी शिक्षा हेतु भीलवाड़ा के विद्यालय में भेज दिया गया| सन 1624(2)  में वह अपनी शिक्षा पूर्ण करके वापस मारवाड़ लौटे तो उनका विवाह सोराष्ट्र के राजा उदय सिंह की पुत्री कन्याकुमारी के साथ पूर्ण हुआ था और उनसे उन्हें जुड़वा (एक पुत्र और एक पुत्री) की प्राप्ति हुई। शिशुओं के जन्म के बाद कन्याकुमारी जी का स्वर्गवास हो गया| पत्नी की मृत्यु से दुखी अमर सिंह ने अपने जुड़वां पुत्र एवं पुत्री को उनके नाना के यहां भेज दिया। अब वह पूरा दिन राज कार्यों या शिकार में व्यस्त रहते| इस तरह कुछ साल और बीत गये| एक दिन अमर सिंह 17 जनवरी 1630(1) को अपने दोस्तों के साथ शिकार करने गये और शिकार के पीछे झलवाड़ा तक पहुंच गये|

 झलवाड़ा मारवाड़ का ही हिस्सा था और वहां के सरदार थे झुंझार सिंह तोमर ठीक उसी समय उनकी पुत्री चंद्रा भी वहां शिकार कर रही थी और भाग्यवश उनका और अमर सिंह का तीर एक साथ एक ही हिरण को लगा| पर चन्द्रा अमर सिंह से पहले ही उस हिरण को ले कर चली गयी और उनके पीछे-पीछे अमर सिंह अपने दल बल के साथ झलवाड़ा के किले तक जा पहुंचे और कहा कि किले का द्वार खोल दिया जायेँ वह मारवाड़ के राजकुमार अमर सिंह राठौर हैं।“ उस किले के पहरेदार ने कहा आजकल मारवाड़ का बच्चा-बच्चा भी अपने आपको अमर सिंह राठौर समझता है”। इस पर अमर सिंह ने क्रोधित होकर अपने घोड़े की लगाम कसी और किले की दीवार फांद कर अंदर चले गये| इससे किले के पहेरेदारों को यह यकीन हो गया कि वह वास्तव मे मारवाड़ के अमर सिंह राठौर है| जब यह सूचना महाराज झुंझार सिंह तोमर के पास पहुंची तो उन्होने अमर सिंह राठौर का स्वागत किया। तब उन्होंने झुंझार सिंह जी को पूरी घटना बताई और तब राजा ने बताया कि वह युवती कोई और नहीं बल्कि उनकी पुत्री राजकुमारी चंद्रा है| जिस पर उनका दिल मोहित हो गया तब झुंझार सिंह ने शर्त रखी कि शादी के पश्चात आप को शलावर खान की हत्या करनी होगी जिसने मेरी पुत्री पर गलत दृष्टि डाली थी। वो तत्कालीन मुगल सम्राट शाहजहां का बहनोई अर्थात शाहजहां की पत्नी
मुमताज का भाई था| अमर सिंह राठौर ने यह शर्त मंजूर कर ली परंतु मारवाड़ में उनके पिता इस विवाह से खुश नहीं थे और उन्होंने कहा लगता है अमर सिंह तुम भोग विलास के आदी हो चुके हो|” इस पर अमर सिंह ने कहा पूरा भारत वर्ष जानता है कि अमर सिंह का भोग विलास हमेशा ही तलवारों के साथ ही रहा|” तब महाराजा गज सिंह ने उन्हें जालिम सिंह को पकड़ने की आज्ञा दी। अपने दल बल के साथ जालिम सिंह को पकड़ने गये और जाते समय उन्होंने कई गांव में जालिम सिंह की पूछताछ की तो गांव वालों ने जालिम सिंह की खूब तारीफ की| तब जालिम सिंह के बारे में उनके विचार बदल गये| एक दिन उनकी जालिम सिंह से मुठभेड़ हुई| तब मुठभेड़ में जालिम सिंह के शौर्य से वे अत्याधिक प्रसन्न हुए और जालिम सिंह को पकड़कर उसे वचन दिया कि वह उसे रिहा करवाने में पूरी सहायता करें और उसे अपना दोस्त बना लिया | राज महल में जालिम सिंह  को  प्रस्तुत करके अमर सिंह ने महाराजा गज सिंह को जालिम सिंह के बारे में समस्त जानकारी दी और उसे रिहा करने की मांग की। इस पर गज सिंह ने क्रोध मे अमर सिंह को इस कृत्य के लिए देश निकाला दे दिया। तब अमर सिंह अपने विश्वासपात्र मंत्रियों को लेकर और जालिम सिंह को लेकर (अपने किये वादे के अनुसार) महल से चले गये| किसी ने भी उन्हें रोकने की चेष्टा ना की। अमर सिंह इस घटना के पश्चात अपने ससुराल में रहने लगे इसके पश्चात सन 1632 के 14 अगस्त(1) को सौराष्ट्र के महल में मुगल दरबार से चिट्ठी आई और अमर सिंह ने अपने विश्वासपात्रों से सलाह करके आगरा के लिए रवाना होने का निश्चय किया। आगरा में उनका भव्य स्वागत है। इसके पश्चात दरबार में अमर सिंह राठौर की मुलाकात मुगल बादशाह आलमगीर शाहजहां से हुई। शाहजहां ने अमर सिंह की तरफ समझौते का हाथ बढ़ाया तो अमर सिंह ने भी इसे स्वीकार करना ठीक समझा| पर अमर सिंह ने यह शर्त रखी कि वह कभी भी मुगल बादशाह यानी शाहजहां के सामने अपना सिर नहीं झुकाएँगे और वह या उनके मंत्री या उनके परिवार का कोई भी सदस्य कभी भी उन्हें किसी भी प्रकार का कर (Tax)  नहीं देगा और इसके बदले मुगलों को वह हर युद्ध में अपना मार्गदर्शन दें।
शाहजहां ने यह शर्त स्वीकार कर ली और आगरा में अमर महल का निर्माण करवाया इसके पश्चात वह अपने परिवार के साथ वहां रहने लगे| पर उनके और शलावर खान के बीच तनाव पूर्ण संबंध बने रहे क्योंकि अमर सिंह राठौर के ससुर ने तो शलावर खान की मौत की कसम की शर्त पर ही अपनी पुत्री से उनका विवाह करवाया था। उन दोनों के बीच कुछ लड़ाइयां भी हुई थी| शलावर खान इस बात को जानता था कि एक ना एक दिन अमरसिंह उसे जरूर मार देंगे तो उसने बादशाह शाहजहाँ से अपने रिश्ते का फायदा उठाकर अमर सिंह को काबुल को जीतने के लिये आगरा से काबुल भिजवा दिया। लगभग 10 साल अमर सिंह अपने परिवार से दूर काबुल मे रहे| अंततः अमर सिंह ने अपनी बहादुरी से दुश्मनों को हराया और मुगलों को अंत मे काबुल पर पूर्ण विजय दिलाने के बाद फरवरी 1644 मे वे आगरा वापस लौटे| पर बीते 10 सालों में शलावर खान में बहुत सी सीमाएं लांग दी थी। उसने अमर सिंह की पुत्री चंद्रावती का अपमान किया था| इस घटना को जानकर अमर सिंह ने अपने पुत्र विजयवर्धन के साथ शलावर खान को मारने गये| परंतु उन्हे रास्ते में मुगलों का एक सेनापति आसिफ खान घायल मिला और उसने अमर सिंह से सहयता मांगी| अमर सिंह उसकी सहायता करने मे लग गये जिससे शलावर खान बच गया। इसी वक्त आशिफ खान ने उन्हें वचन दिया कि उस पर किये गये इस उपकार के बदले समय आने पर वह उनकी मदद करेगा। इसके पश्चात पहले उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह मेवाड़ नरेश महाराणा जय सिंह के पुत्र कुंवर राज सिंह से करने और उसके बाद शलावर खां से बदला लेने का निर्णय लिया था। उन्होंने शलावर खान को उसके घर से आगरा के महल के दरबार तक दौड़ाया और अंत मे शाहजहाँ के भरे दरबार में उसका सर काट दिया| शाहजहां ने उनके इस कृत्य के लिए मृत्युदंड दिया पर वह घोड़े सहित आगरा के किले की दीवार फांद कर भाग गये| पर कुछ दूर पहुंच कर उन के घोड़े ने प्राण त्याग दिए पर वह किसी तरह अपने अमर महल पहुंचे और अपने महल की घेराबंदी करवा दी। फिर आज्ञा दी कि कोई भी मुगल अमर महल के अंदर नहीं आना चाहिये। इस युद्ध में मुगलों को बहुत नुकसान हुआ अंत में शांति हेतु शाहजहाँ ने अमर सिंह की पहली पत्नी के भाई अर्जुन सिंह को शांति वार्ता के लिये अमर सिंह के पास भेजा। तब अर्जुन सिंह ने छल से अमर सिंह की हत्या कर दी और खुश होकर इनाम की लालच मे शाहजहां के पास पहुंचा| पर शाहजहां ने कहा तूने एक शेर की हत्या छल से की है| मैंने तो संधि करने के लिए तुम्हे भेजा था| अब तुम मेरे विश्वास के योग्य नहीं हो”| इसके बाद शाहजहां ने उसे मरवा दिया| परंतु अब युद्ध तो होना ही था क्योंकि अमर सिंह का मृत शरीर मुगलों के पास था (क्योंकि अमर महल आगरा के किले के अंदर था )| मरने से पूर्व अमर सिंह ने आशिफ खान से वचन लिया था कि वह उनका मृत शरीर को उनके परिवार को ही देगा| इसलिए आशिफ खान अपने वचन को निभाने के लिए आगरा के सिपाहियों से लड़ गया और अमर सिंह का मृत शरीर उनकी पत्नी और अमर सिंह के दोस्त जालिम सिंह को ही दिया|  

पर यहाँ यह विवाद खत्म नहीं हुआ क्योंकि अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए अमर सिंह के सौतेले भाई जसवंत सिंह मारवाड़ से और अपने ससुर की मौत का बदला लेने के लिए राज सिंह (उनकी पुत्री चंद्रावती के पति) मेवाड़ से आगरा की तरफ बढ़ रहे थे| पूरे भारत को लग रहा था कि अब तो मुगल साम्राज्य का अंत निश्चित है| तब खद शाहजहां ने विवाद को सुलझाने के लिये सब से क्षमा मांगी और अमर सिंह की पदवी को और उनकी जागीर को उनके पुत्र विजयवर्धन को दिया| तब जाकर मामला शांत हुआ परंतु उनके पुत्र ने जागीर छोड़ दी और वापस मारवाड़ लौट गये| आगरा के किले मे आज भी अमर महल का दर्शन किया जा सकता है जो अमर सिंह के शौर्य और बलिदान का प्रतीक है|

तो दोस्तों यह की कथा वीर अमर सिंह राठौर की जिसने कभी भी अपना सिर नहीं झुकाया और 16 जुलाई 1644 को मात्र 31 वर्ष की आयु में। वीरगति को प्राप्त हो गया।

                               || जय महाकाल ||
                               ||  जय भारत। ||

दिनांक 31.03.2020
                                                  परम कुमार
                                                  कक्षा - 10
                                              कृष्णा पब्लिक स्कूल, रायपुर


ब्लॉग मे दी गयी जानकारी निम्न संदर्भों से ली गयी हैं – 
1. 1957 मे प्रदर्शित हिन्दी फिल्म अमर सिंह राठौर से|
2. अमर चित्र कथा की पुस्तक अमर सिंह राठौर से|
3. ऊपर दिया गये चित्र का लिंक निम्न है|

https://in.pinterest.com/pin/create/extension/?url=https%3A%2F%2Fin.images.search.yahoo.com%2Fyhs%2Fsearch%3B_ylt%3DAwrxgupYRINeGVQARgTnHgx.%3B_ylu%3DX3oDMTB0N2poMXRwBGNvbG8Dc2czBHBvcwMxBHZ0aWQDBHNlYwNwaXZz%3Fp%3Damar%2Bsingh%2Brathore%26type%3Dc110aecf46b9d450bfeb664e7ba%26hspart%3Dshnl%26hsimp%3Dyhs-001%26param1%3DCH%26param2%3DDS%26param3%3D28666%26param4%3DsS6diqTPK9jIRCOWjgQxNWZW8gB2iYSUjRzklRVrqR9ZdvrbYK9pJIoUXPBuv3uonHgY9cNyvvk1j63GpLyO%252F%252FPbadHPCymiEUjvDlUxxqOv%252BhB%252FtDfbU8%252F2KVfvXnGyi7RjWDXE4QcG5SnOX4%252BjZliOVDJHxQiWZPx%252FBxbiDkHJXsWytqCvmy6Icna9I6N7WvPjZX4mF2GtQAD%252FvhgYVKaxIE20I2CSRGNVoIqfDlmM287LyxNOUjctgkVSY%252FMhAqNE8ZxEWDLuY9v88TnbEeck5MpTZt6xDTIgMkEWYfLgN1UJ3B63rsvPeJmYpPi9DStxuXdCoJg8ZBLVIT8tRIYXIL7%252FN%252BG18Vbrv9cyXFTNlHmlxkW%252BoZsMococ40gIIoT0R3JMwsZsPEIINZCfvvLt9GkhpQthPKrNJ3g03BBJnvWzZ%252B938UZgkgVq6JHs8%252BLTOn%252BeZPBLR8qlypNaHz9ajH6q4J%252BDrdwFMKuPs%252BGlGx%252Fq832iXY%252FPPkQMvXBKEcTZn7oq4pIvNR3C5%252Fp65Z%252FoNrNSo2gq3wg%252F25dx69Hcn71Nxvm3YffRZ9G4V03TK%252F7wYfWIGTBe%252FJ0wiIBOi%252FWTCnni44nnOJVXNt3QbzXwimFRtz07cGtooboN0ct6qmpkkJPaXoutvNlL%252FZHB5o%252Fo7dEYCdh8Juand3EKEpNOV12PCwnrFwOxBzQ0o58D%252F%252BRbj0eGajtDGH0LG%252BLo0Q%253D%253D%26ei%3DUTF-8%26fr%3Dyhs-shnl-001%26guce_referrer%3DaHR0cHM6Ly9pbi5zZWFyY2gueWFob28uY29tL3locy9zZWFyY2g_aHNwYXJ0PXNobmwmaHNpbXA9eWhzLTAwMSZ0eXBlPWMxMTBhZWNmNDZiOWQ0NTBiZmViNjY0ZTdiYSZwYXJhbTE9Q0gmcGFyYW0yPURTJnBhcmFtMz0yODY2NiZwYXJhbTQ9c1M2ZGlxVFBLOWpJUkNPV2pnUXhOV1pXOGdCMmlZU1VqUnprbFJWcnFSOVpkdnJiWUs5cEpJb1VYUEJ1djN1b25IZ1k5Y055dnZrMWo2M0dwTHlPJTJGJTJGUGJhZEhQQ3ltaUVVanZEbFV4eHFPdiUyQmhCJTJGdERmYlU4JTJGMktWZnZYbkd5aTdSaldEWEU0UWNHNVNuT1g0JTJCalpsaU9WREpIeFFpV1pQeCUyRkJ4YmlEa0hKWHNXeXRxQ3ZteTZJY25hOUk2TjdXdlBqWlg0bUYyR3RRQUQlMkZ2aGdZVktheElFMjBJMkNTUkdOVm9JcWZEbG1NMjg3THl4Tk9VamN0Z2tWU1klMkZNaEFxTkU4WnhFV0RMdVk5djg4VG5iRWVjazVNcFRadDZ4RFRJZ01rRVdZZkxnTjFVSjNCNjNyc3ZQZUptWXBQaTlEU3R4dVhkQ29KZzhaQkxWSVQ4dFJJWVhJTDclMkZOJTJCRzE4VmJydjljeVhGVE5sSG1seGtXJTJCb1pzTW9jb2M0MGdJSW9UMFIzSk13c1pzUEVJSU5aQ2Z2dkx0OUdraHBRdGhQS3JOSjNnMDNCQkpudld6WiUyQjkzOFVaZ2tnVnE2SkhzOCUyQkxUT24lMkJlWlBCTFI4cWx5cE5hSHo5YWpINnE0SiUyQkRyZHdGTUt1UHMlMkJHbEd4JTJGcTgzMmlYWSUyRlBQa1FNdlhCS0VjVFpuN29xNHBJdk5SM0M1JTJGcDY1WiUyRm9Ock5TbzJncTN3ZyUyRjI1ZHg2OUhjbjcxTnh2bTNZZmZSWjlHNFYwM1RLJTJGN3dZZldJR1RCZSUyRkowd2lJQk9pJTJGV1RDbm5pNDRubk9KVlhOdDNRYnpYd2ltRlJ0ejA3Y0d0b29ib04wY3Q2cW1wa2tKUGFYb3V0dk5sTCUyRlpIQjVvJTJGbzdkRVlDZGg4SnVhbmQzRUtFcE5PVjEyUEN3bnJGd094QnpRMG81OEQlMkYlMkJSYmowZUdhanRER0gwTEclMkJMbzBRJTNEJTNEJnA9YW1hciUyMHNpbmdoJTIwcmF0aG9yZQ%26guce_referrer_sig%3DAQAAAMUNIliyE2OWb3CtEm3U0aC6PW-BLenqUx0_opvZE1K54ITF8UjhvQPb8fpdHYEy7laO0fNFBo8dZ-iB66p3Y01vbBlLpbb2VlitcWDDDszpOPcoWJWu0ONZ84dANsIOqahQ82WcUzIWTfjMQUvZZPcog_pZcCJY0OncQ3cfWzUz%26_guc_consent_skip%3D1585661052%23id%3D0%26iurl%3Dhttp%253A%252F%252Fupload.wikimedia.org%252Fwikipedia%252Fcommons%252Fthumb%252Fd%252Fdc%252FRao_Amar_Singh_of_Jodhpur_%2525286125095904%252529.jpg%252F230px-Rao_Amar_Singh_of_Jodhpur_%2525286125095904%252529.jpg%26action%3Dclick&media=https%3A%2F%2Ftse4.mm.bing.net%2Fth%3Fid%3DOIP.mNzTnL0MycvS-X1dDFJ9xAAAAA%26pid%3DApi%26P%3D0%26w%3D300%26h%3D300&xm=g&xv=cr4.0.100&xuid=6NZPg_DBoMEJ&description=amar%20singh%20rathore%20-%20Yahoo%20Search%20Results%20Image%20Search%20results







3 comments:

  1. भारत वर्ष में ऐसे अनेक वीर हैं, जिनके बारे में लोगों को मालूम।
    नहीं है। ऐसे वीरों के बारे में जानकारी जुटा के सामने लाना एक अत्यंत पुनीत कार्य है। परम ने अमर सिंहजी के बारे में महत्वापूर्ण जानकारी दी है। अमर सिंहजी को नमन एवं परम को शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  2. भारत वर्ष में ऐसे अनेक वीर हैं, जिनके बारे में लोगों को मालूम।
    नहीं है। ऐसे वीरों के बारे में जानकारी जुटा के सामने लाना एक अत्यंत पुनीत कार्य है। परम ने अमर सिंहजी के बारे में महत्वापूर्ण जानकारी दी है। अमर सिंहजी को नमन एवं परम को शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  3. Ramakant Prasad1 April 2020 at 14:53

    अपने अमर सिंहजी के बारे में बहुत ही महत्वापूर्ण जानकारी दी है जो काबिले तारीफ़ है। मैं आशा करता हूँ की आगे भी आप ऐसे ही भारत माता के बीर सपूतो के बारे में हमें और जानकारी देने का कष्ट करेंगे। इस परम कार्य के लिए परम को शुभकामनाएं।����

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