नमस्कार दोस्तों आप का मेरे इस ब्लॉग में स्वागतहैं| आज हमारे चर्चा का विषय ना ही किसी योद्धा पर है ना हीं
किसी युद्ध पर| अब आप सोच रहे होंगे तो फिर किस पर है? मित्रों आज हमारी चर्चा का विषय युद्ध में
इस्तमाल होने वाली रणनीतियों यानि व्यूह पर है| आप सब ने महाभारत तो देखी ही होगा | उसमें युद्ध के 13 वे दिन कौरवों के सेनापति आचार्य द्रोणाचार्य ने पांडवों के विरुद्ध एक व्यूह की रचना की थी| जिसे हम चक्रव्यूह के नाम से जानते हैं | इसमें अभिमन्यु ने प्रवेश तो किया था पर उसको
लौटने का मार्ग नहीं पता था, इसलिए वो मारा गया| हममें से अधिकतर लोग यही मान के चलते हैं| पर क्या आप यह जानते हैं की इस व्यूह में उसकी
मृत्यु का एक और कारण था? नहीं ना, तो आज हम इस पर, कितने प्रकार के व्यूह होतें हैं, उनको बनाने के लिए कितने सैनिक लगते हैं और वो
कैसे नष्ट किये जा सकते हैं ? हम आज इन सब बातों पर चर्चा करेंगे| तो आइये शुरू करते हैं|
व्यूह 13 प्रकार
के होते हैं|
शकटव्यूह, गर्भव्यूह, सूचिव्यूह, अर्ध्चान्द्रव्यूह, सर्वोतोभाद्रव्यूह, मक्रव्यूह, सर्पव्यूह, मंद्लाव्यूह, शेयांव्यूह, त्रिशुल्व्हियु, सत्रह्चाक्र्चाक्रव्यूह, पद्मव्यूह और कश्यप्व्ह्यु |
इन सब में से सब
से खतरनाक पांच व्यूह हैं- अर्ध्चान्द्रव्यूह, सर्वोतोभाद्रव्यूह, सत्रह्चाक्र्चाक्रव्यूह, पद्मव्यूह और कश्यप्व्ह्यु| इन सब व्यूह को बनाने के लिए कम से कम 6
अक्षौहिणी सेना की जरुरत होती हैं| पर 17 चक्र च्क्रव्यूह कम सेना के साथ भी बनाया जा सकता हे| बाकी के बचे व्यूह को बनाने के लिए कम से कम
27000 सेना की जरुरत होती हे| एक अक्षौहिणी सेना में 21000हांथी, 21000 रथ, 65000 घुड़सवार और 100000 पैदल सिपाही होते थे| माना जाता है की महाभारत के युद्ध में 18
अक्षौहिणी सेना मारी गयी थी| मतलब महाभारत के युद्ध में 37 लाख 26 हजार सैनिक मारे गए थे| तो आईये जानते हैं की इन व्यूह की रचना केसे
होती थी|
1-
शकटव्यूह- यह व्यूह चौकोर डिब्बे जेसा होता है|
इस में पांच पड़ाव होते हैं| सबसे पहले 20000 पैदल सैनिकों की एक टुकड़ी रहती है |
उसके बाद 5000 रथों की एक टुकड़ी| इस व्यूह के बीचों बीच राजा अपने मुख्यमंत्री और
सेनापति चतुरंग्नी सेना (चतुरंग्नी सेना चार प्रकार की सेना होती है जिसमें पैदल सैनिक,
घुड़सवार सैनिक, हाथी और रथ पर सवार सैनिक) के साथ वहां रहते थे| इसके बाद 1000
हांथी और 2000 पैदल सैनिकों की एक टुकड़ी वहां रहती थी | इस व्यूह के आखरी पड़ाव में
2100 घोड़ों की एक टुकड़ी रहती थी| इस व्यूह को बनाने के लिए कुल 30100 सैनिकों की जरुरत पड़ती थी| इस व्यूह को तोड़ने के लिए
इसके उपर अगर एक साथ आक्रमण किया जाये तो यह व्यूह टूट सकता| इसे तोड़ने का बस एक
यही तरीका है|
2-
गर्भव्यूह- यह व्यूह
गोल आकार का होता है जेसे की किसी गर्भवती स्त्री का पेट हो| इस व्यूह में होती तो
6 पंक्तियाँ थी पर वो 6 पंक्तियाँ 3 हिससों में बंटी रहती थी | सब से पहली पंक्ति
में 6000 पैदल और 4000 घुडसवार सैनिक रहते थे| दूसरी पंक्ति में 10000 रथ होते थे|
तीसरी पंक्ति में चतुरंग्नी सेना रहती थी| तीसरी पंक्ति के आखरी हिस्से में राजा और
उसके विश्वासपात्र सैनिक रहते थे| चौथी पंक्ति में 10000 हांथी रहते थे| पांचवी
पंक्ति में 5000 घुड़सवार और 5000 हांथी
रहते थे| आखरी पंक्ति में 10000 पैदल सिपाही होते थे| इस व्यूह को तोड़ाने के लिए
सूचिव्यूह की रचना करनी पडती थी | अगर सूचिव्यूह की मदद से गर्भ व्यूह की तीसरी
पंक्ति पर वार किया जाये तो इसे तोड़ा जा सकता हे| गर्भ व्यूह को बनाने के लिए
70000 सैनिकों की जरुरत परती थी|
3-
सूचिव्यूह- यह व्यूह किसी लम्बे नुकीले भाले की तरह होता था और इसमें केवल एक पंक्ति होती थी जो पूरी एक अक्षौहिणी सेना का बना होता था| राजा इस व्यूह के ठीक सामने होता था पर उसकी हिफाज़त सेना के सबसे खूंखार लड़ाके करते थे| आप सोच रहे होंगे की इस व्यूह को तोड़ना सबसे असान होगा क्योंकि राजा तो इस व्यूह के सामने ही रहता हैं| उसे मार ने से ही व्यूह टूट जायेगा परन्तु ऐसा नहीं हैं क्योंकि राजा जिस रथ में बेठाता था उसकी रक्षा सेना के सबसे ताकतवर योद्धा करते थे| इसे तोड़ने का बस एक ही तरीका था कि अगर घुड़सवार एक साथ इसके दायें और बाएं तरफ हमला करें तो यह व्यूह टूट जायेगा|
4- अर्धचंद्रव्यूह-यह व्यूह
सब से जटिल व्यूहयों में से एक हे| इस को बनाने के लिए 6 अक्षौहिणी सेना की जरुरत
पडती है| इसमें तीन पंक्तियाँ होती थी जो 1-1 अक्षौहिणी सेना से बनी रहती थी |
बाकी की बची 3 अक्षौहिणी सेना इसके पीछे रहती थी| जेसे ही कोई सेना या कोई और व्यूह
इस अर्धचन्द्रव्यूह की तरफ बढ़ता था तब अर्धचन्द्रव्यूह के पीछे की सेना सामने आके
जो व्यूह या सेना अर्धचन्द्रव्यूह के अन्दर प्रवेश करती थी उसे घेर लेती थी| और
अर्धच्न्द्रव्यूह पूर्णचंद्रव्यूह बन जाता था और अन्दर फँसी सेना को मार देता था|
इस व्यूह को तोड़ने का बस एक ही तरीका था और वो यह की इसमें सीधे ना घुस के किसी और
तरफ से हमला किया जाये तभी इस व्यूह को तोडा जा सकता था|
5- सर्वतोभद्रव्यूह- यह
भी सब से जटिल व्यूहओं में से एक हे| यह व्यूह आज तक कोई नहीं बना पाया था क्योंकि
इसे बनाने के लिए 27 अक्षौहिणी सेना की जरुरत पड़ती थी| मतलब इस व्यूह को बनाने के
लिए कुल 55 लाख 89 हजार सिपाहिओं की जरुरत थी| क्योंकि यह व्यूह कभी बनाया नहीं
गया तो इसे तोडा भी नहीं जा सकता था| सर्वतोभद्र का मतलब होता है नक्षत्रों को
देखने का एक बहुत अलग तरीका | जैसा की हम सब जानते हें की 27 नक्षत्र होते हैं| इस
व्यूह में भी 27 हिस्से होते थे जो एक साथ आगे बडते थे ,एक ही रेखा में| क्योंकि
इस व्यूह का कभी उपयोग नहीं हुआ तो इसे तोड़ने का और शत्रु को इसके अन्दर कैसे फँसाया
जाये इसका कोई विवरण नहीं है |
6- मक्रव्यूह- मक्र का
मतलब मकड़ी होता हे| आप सोच रहे होंगे की यह बहुत कमजोर व्यूह होगा पर ऐसा नहीं है |
इसे बनाने के लिए 6 अक्षौहिणी सेना की जरुरत होती थी और जैसे मकड़ी के जाले में सात
पंक्तियाँ होंती हैं उसी प्रकार इसमें भी सात पंक्तिया होती थीं| सब से आगे की
पंक्ति में 30000 हजार सिपाही भाले और ढाल लेकर खडे रहते थे और कुछ सिपाही रस्सियाँ
लेकर खडे रहते थे| जेसे ही कोई पहली पंक्ति के पास पहुँचता था रस्सी वाले सिपाही
रस्सी के फंदे बनाकर उनके उपर फेक देते थे और व्यूह के अन्दर खीच लेते थे| भाले
वाले सिपाही उन्हें मार देते थे| दूसरी पंक्ति में धनुर्दर रहते थे| अगर बहुत बडी
सेना ने एक ही बार में हमला कर दिया तो वो अग्नि बाण चला के उस सेना को अग्नि के
एक गोले में घेर लेते थे फिर उन्हें मार देते थे| इस व्यूह को तोड़ने का बस एक ही
तरीका था और वो था कश्यप व्यूह| इसे केवल कश्यप व्यूह से ही तोडा जा सकता था
7- सर्पव्यूह- यह व्यूह
सर्प के आकार का होता था| इसे बनाने के लिए कम से कम 1 अक्षौहिणी सेना की जरुरत तो
होती थी| इस व्यूह की खासियत थी की यह सर्प की तरह ही चलता था तो किसी को भी पता
नहीं चलता था की व्यूह किस दिशा में जा रहा हे| इस व्यूह के सामने कैसी भी सेना
आजाये यह उसे निगल लेता था मतलब अपने अन्दर ले लेता था बिलकुल एक साँप की तरह और
फिर मार देता था| इस व्यूह को तोड़ने का बस एक ही तरीका था शेयांव्यूह( गरुण व्यूह)
बस इसी तरीके से अगर इसके सिर पर वार किया जाये तो यह सर्प व्यूह टूट जा ता है|
8- मंडलव्यूह - यह व्यूह सूर्य मंडल जैसा था| जिसमे 9 गृह थे| उसी प्रकार इसमें 9 पंक्तियाँ 9 ग्रहों के आकार में खडी रहती थी| इसे बनाने के लिए 9 अक्षौहिणी सेना की जरुरत पड़ती थी| जैसे सूर्य मंडल में सूरज बीच में होता हैं और बाकी सब गृह उसकी परिक्रमा करते थे वेसे ही राजा इस व्यूह के बीच में होता था और बाकी सब पंक्तियाँ इसके चारों तरफ घूमती रहती थी |इसकी एक और खास बात यह थी की इस व्यूह को तोडा नहीं जा सकता था|
9 - श्येनव्यूह(गरुण व्यूह)-
यह व्यूह आक्रमण के लिए कभी भी इस्तेमाल नहीं हुआ था इसे सिर्फ सर्प व्यूह को तोड़ने
के लिए इस्तमाल किया गया था| इसलिए इसके बारे में जायदा विवरण नहीं मिलता|
11- त्रिशूलव्यूह- यह व्यूह त्रिशूल के आकार का होता था इसको बनाने के लिए 4 अक्षौहिणी सेना की जरुरत पडती थी| तीन अक्षौहिणी सेना इस व्यूह की नोक बनाते थे और बाकी की 1 अक्षौहिणी सेना त्रिशूल की लकडी बनाती थी जिस पर व्यूह की नोंक लगती थी| इस व्यूह की खासियत यह थी कि यह एक बार में तीन दिशाओं में हमला कर सकती थी और अगर इसकी एक नोक टूट भी जाये तो बाकी दो नोकों से हमला किया जा सकता था| अगर इस व्यूह में एक ही नोंक बचती थी तो भी यह हमला कर सकता था| इसे तोड़ने का बस एक ही तरीका था कि अगर इसके तीनो नोकों पर एक साथ हमला कर दिया जाये तो यह व्यूह ध्वस्त हो जायगा|
12-
पद्मव्यूह(चक्रव्यूह)-
यह सभी व्यूह में सब से जटिल व्यूह है इसमें सात चक्र होते हैं जो निरंतर घूमते
रहते हैं और आगे बड़ते रहते हैं| बिलकुल किसी स्क्रू की तरह | पर इसका आकार गोल
होता हे| अगर कोई इस चक्रव्यूह के अन्दर फँस गया और वो निकलना नहीं जानता तो वो
मारा जायेगा क्योंकि वो चक्रव्यूह के जितने अन्दर घुस जाये गा वो उतना ही मुश्किल
हो जाएगा| इसे तोड़ने का बस एक ही तरीका है कि इसके घुसने के रास्ते को तोड़ दिया
जाये| अभिमन्यु ने यह कर ने की कोशिस की थी पर जैसा मै ने ऊपर लिखा है कि चक्रव्यूह दो तरह से लगातार घूमता
रहता है| तो जिस समय अभिमन्यु ने च्क्रव्यूह में
प्रवेश किया था उस समय उसका निकास का रास्ता आगे था और घुसने का पीछे और वो
निकासी के रस्ते से घुसे थे तो उनका सामना सब से ताकतवर योद्धाओं से पहले हुआ जिस
की वजह से वो मारा गया|
13- कश्यप्व्ह्यु- यह व्यूह कछ्युए के
आकार का होता है| यह व्यूह चारों तरफ से बडी-बडी ढालों से बंद रहता हैं इसलिए बाहर
के किसी भी आक्रमण का इस पर कुछ असर नहीं पडता| और यह शत्रुओं को बहुत बड़ी हानी
पहुँचा सकता हे| पर यह व्यूह ऊपर से खुला रहता है तो अगर इस पर ऊपर से तीर चलाये
जाये तो इस व्यूह को तोडा जा सकता है |
तो ऐसी थी हमारी प्राचीन भारत की अतुल्य युद्ध नीतियाँ
|| जय भारत ||
17\05\2018
परम कुमार
कक्षा -
9
कृष्णा पब्लिक स्कूल
रायपुर
नोट : ब्लॉग में उपयोग किये गए चित्र निम्नलिखित सोर्स से
लिए गए हैं :-
http://www.legendofvyas.com/library
http://allindiaroundup.com/mythology/how-was-a-chakravyuha-strategy-of-mahabharata-beaten/